Monday 27 October 2014

तकनीक का दुरुपयोग




तकनीक का दुरुपयोग

Thu, 18 Sep 2014

विज्ञान व तकनीक का उद्देश्य सदैव यह रहा है कि मानव समाज उत्तरोत्तर प्रगति करे और यह मनुष्य जीवन को बेहतर बना सके। पिछली एक सदी में विज्ञान के नए-नए आविष्कारों की बदौलत मनुष्य जीवन अधिकाधिक सुखद व सुविधाजनक होता चला गया है। विशेषकर सूचना टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इतनी अधिक तरक्की हुई है कि आज से कुछ दशक पहले किसी ने इस बारे में सोचा भी नहीं होगा। सचमुच यह कल्पनातीत ही था कि ग्राहम बेल ने जिस टेलीफोन का आविष्कार किया था, वह आगे बढ़कर एक दिन मोबाइल फोन में बदल जाएगा और सारी दुनिया एक छोटे गांव में तब्दील हो जाएगी। आज सूचनाएं सरपट हवा में उड़ते हुए पलक झपकते ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंच जा रही हैं। सूचना टेक्नोलॉजी के व्हाट्सएप व फेसबुक जैसे एप्लीकेशंस ने तो दुनिया का रंग-ढंग ही बदल डाला है। पल भर में ही आप सात समंदर पार बैठे अपने मित्र, परिजन, परिचित से लिखकर बात कर सकते हैं। अपने चित्र उसे भेज सकते हैं। अपनी आवाज उसे सुना सकते हैं, उसकी आवाज सुन सकते हैं। लेकिन दुनिया में हर वस्तु की अच्छाई के साथ उसकी बुराई भी जन्म ले लेती है। इन दोनों माध्यमों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। कुछ लोगों ने इन माध्यमों की जरूरी उपयोगिता से आगे बढ़कर इन्हें अपना व्यसन ही बना लिया है। युवा पीढ़ी तो इस कदर इनकी लती हो चुकी है कि मनोवैज्ञानिक यह सोचने को विवश हो गए हैं कि उसे इस लत से कैसे बाहर निकाला जाए। पंजाब जैसे समृद्ध राज्य में यह लत कुछ इस कदर सिर चढ़कर बोल रही है कि विद्यार्थी तो दूर अध्यापक भी पूरी तरह इसमें डूबे नजर आते हैं। स्वाभाविक है शिक्षकों की इस लत का असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। इसे समझते हुए सरकार स्कूलों में इन एप्लीकेशंस के इस्तेमाल पर पाबंदी पर विचार करने लगी है। सरकार का यह कदम स्वागत योग्य होगा, लेकिन सवाल यह है कि सरकार इस पर अमल करवाएगी कैसे.? मोबाइल फोनों के जरूरी उपयोग को रोका तो जा नहीं सकता। स्वाभाविक है इस पाबंदी को असरदार बनाने के लिए सरकार को अपना निगरानी तंत्र मजबूत बनाना होगा, तभी तकनीक के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]