Monday 27 October 2014

डॉट भारत डोमेन नेम के मायने




डॉट भारत डोमेन नेम के मायने

टेक्नोर्वल्ड

बालेन्दु शर्मा दाधीच
आखिरकार देवनागरी लिपि में ‘डॉट भारत’ नाम से इंटरनेट डोमेन लांच हो गया है। वास्तव में, इसका भाषा से नहीं बल्कि लिपि से संबंध है। ऐसी सभी भाषाओं, जिनमें देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है, में अब इंटरनेट पर इस्तेमाल होने वाले वेब पते अर्थात यूआरएल इस्तेमाल किए जा सकते हैं । मिसाल के तौर पर राष्ट्रीयसहारा.भारत। यह एक डोमेन नेम है, जो देवनागरी लिपि में है। इसका अर्थ यह हुआ कि इस नाम से रजिस्र्टड कराई गई वेबसाइट को खोलने के लिए आपको अपने इंटरनेट ब्राउजर में, जहां आप वेब पता लिखते हैं (जैसेध््रध््रध््र. न्ठ्र्ठण्दृदृ.ड़दृथ््र), वहां अंग्रेजी (लैटिन कैरेक्टरों) की बजाय देवनागरी में पता लिखने की छूट होगी। लेकिन सिर्फ उन्हीं वेबसाइटों का, जिन्होंने अपना देवनागरी डोमेन नेम रजिस्टर करवाया हुआ है, यूनिकोड और यूटीएफ-8 नामक इनकोडिंग पण्रालियों के आने के बाद यह कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं रह गई थी। हालांकि, फिर भी हमें इस मुकाम तक पहुंचने में परियोजना की शुरुआत के बाद तीन साल लग गए। कुछ तो सरकारी औपचारिकताओं की देरी है और कुछ देवनागरी की अपनी विशिष्ट प्रकृति की वजह से पैदा समस्याएं। जैसे- हम ‘पंडित’ शब्द को ‘पन्डित’ या ‘पण्डित’ के रूप में भी लिखते हैं। अब इस नाम से डोमेन नेम रजिस्टर करवाने पर इन्हें तीन अलग-अलग नाम माना जाए या फिर एक? एक मजेदार बात यह कही जा रही है कि ऐसे डोमेन नेम हिन्दी, कोंकणी और मराठी समेत आठ भाषाओं में खुलेंगे। असल में, भाषा के आधार पर डोमेन पंजीकरण नहीं हो सकता क्योंकि यदि एक ही शब्द अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग रूप में इस्तेमाल होता है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उस शब्द को देवनागरी का प्रयोग करने वाली उन सभी भाषाओं में अलग-अलग पंजीकृत करवाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मुंबई.भारत को आप हिन्दी में अलग और मराठी में अलग से पंजीकृत करवा सकें, इसकी संभावना नहीं है। वह सिर्फ एक बार और सिर्फ देवनागरी लिपि में ही पंजीकृत होगा। इससे लाभ क्या होगा? पहला यह कि आपको अपने इंटनरेट ब्राउजर में भारतीय भाषाओं के नामों की अं ग्रेजी स्पेलिंग लिखने के झंझट से छुटकारा मिलेगा, जिसमें प्राय: लोग गलती कर जाते हैं। दूसरे, ब्राउजर में पूर्णत: हिन्दी या देवनागरी देखने की आजादी होगी- वेब पते से लेकर पेजों तक। तीसरे, ऐसे लोग जो अंग्रेजी के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते, देवनागरी के डोमेन नेमों वाली वेबसाइटों का आसानी से इस्तेमाल कर सकेंगे। लेकिन हां, विदेशों के लोगों को जो देवनागरी नहीं जानते, ऐसी वेबसाइटों तक पहुंचने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा, कि वे देवनागरी के साथ लैटिन कैरेक्टर्स में भी डोमेन नेम दर्ज करवाएं। इंटरनेट गांवों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी दिलचस्पी से केंद्र सरकार ने डिजिटल तकनीकों के क्षेत्र में बड़े अभियान की शुरुआत की है। यूं भारत की सभी ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट पहुंचाने का लक्ष्य नया नहीं है लेकिन केंद्रीय संचार और प्रौद्यो गिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद को लगता है कि प्रधानमंत्री के निजी दबाव के कारण नई सरकार के दौर में यह काम जल्दी पूरा हो जाएगा। मार्च 2017 तक देश के ढाई लाख ग्राम पंचायतों को हाईस्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना की लागत करीब 35 हजार करोड़ रुपये है। इसके तहत नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) के माध्यम से इस साल 60 हजार गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा, जबकि अगले साल एक लाख गांवों को जोड़ा जाएगा। पिछली सरकार ने इस मद पर जो बजट रखा था, उसे सरकार ने बढ़ा दिया है और परियोजना को पूरा करने की तिथि दिसम्बर, 2016 कर दी गई है। एप्पल के बड़े लांच की तैयारी आईटी और दूरसंचार उपकरणों के क्षेत्र की अग्रणी कंपनी एप्पल नौ सितम्बर को एक बड़ा लांच करने जा रही है। कार्यक्रम के निमंतण्रपत्र भी भेजे जा चुके हैं लेकिन जैसी की एप्पल की परंपरा है, उस दिन कौन-सा उत्पाद आने वाला है। इसका सौ फीसदी सही जवाब कोई नहीं दे सकता। वह उसी दिन पता चलेगा। बहरहाल, आईटी क्षेत्र के संकेतों के मुताबिक, उस दिन एप्पल का आईफोन 6 लांच हो सकता है। उसके साथ-साथ कंपनी का कोई नया, क्रांतिकारी किस्म का वियरेबल उत्पाद भी, जैसे कोई स्मार्ट घड़ी। इंतजार कीजिए और देखिए। डिजिटल भारत : बड़े लक्ष्य सरकार अपने डिजिटल भारत कार्यक्रम के तहत विभिन्न आईटी और दूरसंचार परियोजनाओं पर भी 69,524 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करने जा रही है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा परियोजना है। सरकार ने ऐसे 42,300 गांवों जिनके पास किसी तरह का नेटवर्क नहीं है, को मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 16,000 करोड़ रुपये की राशि रखी है। इन गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी 2018 तक उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने 15,686 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय सूचना ढांचे के गठन का भी फैसला किया है। इस परियोजना के तहत मौजूदा कार्यक्रम मसलन नेशनल नॉलेज नेटवर्क और एनओएफएन का एकीकरण किया जाएगा। ई-कॉमर्स पोर्टल पर बिकेंगे घर टाटा वैल्यू होम्स ने अपने मकानों की ऑनलाइन बिक्री के लिए ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील के साथ समझौता किया है जिसके तहत इस ई-कॉमर्स पोर्टल पर अब आम-फहम चीजों के साथ-साथ मकान और फ्लैट भी बिकेंगे। टाटा ने सर्वे कराया था जिससे पता चला कि प्रत्येक दो में से एक व्यक्ति रियल एस्टेट के लिए ऑनलाइन खोज करता है। इस कंपनी ने प्रयोग के तौर पर अपनी वेबसाइट के जरिए मकान बेचना शुरू किया था। छह सौ मकानों की सफल बिक्री के बाद अब उसे यकीन है कि ई-कॉमर्स पोर्टल पर मोबाइल और घड़ियों के साथ- साथ मकान भी बेचे जा सकते हैं। स्नैपडील से समझौते के तहत मुंबई, पुणो, अहमदाबाद, बेंगलुरू और चेन्नई में बने टाटा वैल्यू होम्स के करीब 1,000 घरों को स्नैपडील पर बिक्री के लिए रखा जाएगा। इसमें 1 बीएचके से 3 बीएच के वाले मकान होंगे। इनकी कीमत 18 से 70 लाख के बीच है। चल निकली मोटोरोला की रणनीति मोटोरोला ने स्मार्टफोन मोटो जी की बिक्री ऑनलाइन शुरू की थी। इसको सिर्फ फ्लिपकार्ट पर लांच किया गया और रिटेल दुकानों पर ये उपलब्ध ही नहीं था। मोटोरोला ने भारतीय ई-कॉमर्स बाजार पर बड़ा दांव लगाया था लेकिन यह दांव सही पड़ा और मोटो जी खूब बिका। इस तरीके में खर्च भी कम है और झंझट भी। रास्ते में बहुत लोगों की मौजूदगी न होने से मुनाफा ज्यादा है। ऐसे में, दूसरी कंपनियां भी यही रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित हो रही हैं। जियाओमी, एसस और अल्काटेल जैसी दूसरी कंपनियों ने इसी तरह का मॉडल अपनाया और फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी चुनिंदा ई-कॉमर्स फर्मो के जरिये अपने फोन बाजार में उतारे। मोटोरोला नया उत्पाद भी ऑनलाइन ही पेश करने जा रही है। इसी हफ्ते ओप्पो इंडिया ने अपने स्मार्टफोन की ऑनलाइन बिक्री के लिए घरेलू ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के साथ गठबंधन किया है। फ्लिपकार्ट अपनी वेबसाइट पर ओप्पो एन1 और नवीनतम 4जी स्मार्टफोन ओप्पो फाइंड 7 समेत देश में अब तक पेश की गई संपूर्ण रेंज की पेशकश करेगी।

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